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Showing posts from August, 2017

बाबा बालकनाथ जी का सिद्ध स्त्रोत

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बाबा बालकनाथ जी का सिद्ध स्त्रोत बाबा बालकनाथ जी का सिद्ध स्त्रोत जय सिद्ध योगी जय नाथ हरि, मेरी बार क्यों इतनी देर करी । ऊंचा है पर्वत गिरनार का, था हुआ जन्म जहाँ सरकार का । पिता वैष्णव और माँ लक्ष्मी, आ गोदी में खेले जिन के हरि ॥ १ ॥ जय सिद्ध योगी जय नाथ हरि, मेरी बार क्यों इतनी देर करी । लगी बचपन में सच्ची लगन, लिया नाम हरि का और हुए मगन| माया पांच तत्वों की झूठी लगी , प्रीति प्रभु से जा सच्ची करी ॥ २ ॥ जय सिद्ध योगी जय नाथ हरि, मेरी बार क्यों इतनी देर करी । कीनी तपस्या जा कैलास पे , चमके ज्यूँ , चंदा आकाश पे । प्रेम में लीन हो भक्ति करी , शंकर भोले की तार हिली ॥ ३ ॥ जय सिद्ध योगी जय नाथ हरि, मेरी बार क्यों इतनी देर करी । दिआ शिवशंकर जी ने वर आपको दिआ योग, किआ अमर जात को । जाना न भूल यह हमारी कही , जा कलयुग में होगी महिमा बड़ी ॥ ४ ॥ जय सिद्ध योगी जय नाथ हरि, मेरी बार क्यों इतनी देर करी । काटे थे संकट आ माता के, हँसते थे माता के हर बात पे । बन कर रत्नो के पाली हरी, पूरे साल बारां, की नौकरी ॥ ५ ॥ जय सिद्ध योगी जय नाथ हरि, मेरी बार क्यों इतनी देर करी ।

कृष्णा जन्मोत्सव

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कृष्णा जन्मोत्सव Janmashtami 2017: 14 अगस्त को है कृष्ण जन्माष्टमी, जानिए- क्यों मनाया जाता है ये त्योहार Krishna Janmashtami 2017 Date: बताया जाता है कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आधी रात में अत्याचारी मामा कंस के विनाश के लिए भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा में अवतार लिया था। भारत सहित पूरे विश्व में हिंदू संप्रदाय के लोग कृष्ण जन्माष्टमी इस बार 14 अगस्त मनाएंगे। भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में यह त्योहार मनाया जाता है। पुराणों के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण ने भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अवतार लिया था। इसके बाद से इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाने लगा। इस त्योहार को भारत में हीं नहीं बल्कि विदेश में भी हिंदू संप्रदाय के लोग पूरी आस्था के साथ मनाते हैं। बताया जाता है कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आधी रात में अत्याचारी मामा कंस के विनाश के लिए भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा में अवतार लिया था। इसलिए इस दिन मथुरा में काफी हर्षोउल्लास से जन्माष्टमी मनाई जाती है। दूर-दूर से लोग इस दिन मथुरा आते हैं। इस दिन मथुरा नगरी पूरे धार्मिक रंग म

बाल श्रमिक: एक जटिल समस्या पर निबंध

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बाल श्रमिक: एक जटिल समस्या पर निबंध बाल श्रमिक: एक जटिल समस्या पर निबंध | हमारा देश एक विशाल देश है । इस देश में सभी धर्मों, जातियों, वेश-भूषा व विभिन्न संप्रदायों के लोग निवास करते हैं । देश ने स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् सफलता के नए आयाम स्थापित किए हैं । विकास की आधुनिक दौड़ में हम अन्य देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं । परंतु इतनी सफलताओं के पश्चात् भी जनसंख्या वृद्‌धि, जातिवाद, भाषावाद, बेरोजगारी, महँगाई आदि अनेक समस्याएँ हैं जिनका निदान नहीं हो सका है अपितु उनकी जड़ें और भी गहरी होती चली जा रही हैं । बाल-श्रम भी ऐसी ही एक समस्या है जो धीरे-धीरे अपना विस्तार ले रही है । इस समस्या का जन्म प्राय: पारिवारिक निर्धनता से होता है । हमारे देश में आज भी करोड़ों की संख्या में ऐसे लोग हैं जो गरीबी की रेखा के नीचे रहकर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं । ऐसे लोगों को भरपेट रोटी भी बड़ी कठिनाई और अथक परिश्रम के बाद प्राप्त होती है । उनका जीवन अभावों से ग्रस्त रहता है । इन परिस्थितियों में उन्हें अपने बच्चों के भरण-पोषण में अत्यंत कठिनाई उठानी पड़ती है । जब परिस्थितियाँ अत्यधिक प्रतिकूल

जाती

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#जाती - अब तक आप सभी मित्रो ने मेरी जो भी पोस्ट पढ़ी है ...उसमे जातियों (वर्णो) के कुल गोत्र आदि के बारे में बताया गया था, अब मैं आपको जातियां बनी कैसे, ये सब शुरू कहा से हुआ ये बताने से पहले.... आपकी कुछ भ्रांतियां जो धर्म के ठेकेदारों ने आपके जेहन में डाल रखी है उसका खंडन करते हैं। #पुरुषसूक्त ऋग्वेद संहिता के दसवें मण्डल का एक प्रमुख सूक्त यानि मंत्र संग्रह (10.90) है, जिसमें एक विराट पुरुष की चर्चा हुई है और उसके अंगों का वर्णन है।इसका एक श्लोक है - ब्राह्मणोऽस्य मुखामासीद्वाहू राजन्यः कृतः। ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत॥१३॥ #श्लोक का अनुवाद है - ब्राह्मण मुख (मुख्य काम के लिए) हेतु, राजन्य (क्षत्रिय) वीर-बलों के कार्य हेतु, वैश्य उरु, अर्थात सर्व स्थान यात्रा और शूद्र पग यानि सेवा जैसे गुणों के लिए बने हैं। यही श्लोक सुना सुना के ब्राम्हणो को गालियां दी जाती है लेकिन इसकी सच्चाई कोई नही बताता अरे भाई बता दिया तो दुकान कैसे चलेगी लेकिन आइये हम सभी इसका खंडन करते है - #इसका वास्तविक अर्थ जानने के लिए  इससे पहले मंत्र 12 पर गौर करना जरूरी है | वहां सवाल पूछा गया है

श्री दत्तात्रेय बावनी

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श्री दत्तात्रेय बावनी जय योगेश्वर दत्त दयाल तू ही एक जग में प्रतिपाल अत्रि-अनसूया कर निमित्त प्रगटा है जग कारण निश्चित~~1 ब्रह्मा-हरि-हर का अवतार शरणागत का तारनहार अंतर्यामी सत्-चित् सुख बहार सदगुरू द्विभुज सुमुख~~2 झोली अन्नपूर्णा है कर में शांति कमंडल सोहे कर में कहीं चतुर्भुज षङभुज सार अनंत बाहू तूं आधार~~3 आया शरण में बाल अजान उठिए दिगंबर निकले प्राण सुनी अर्जुन की आर्त पुकार दर्शन देकर किया उद्धार~~4 दी योंॠद्धिसिद्धि अपार अंत में मुक्ति महापद सार किया आज ये कैसा विलंब? तेरे बिना मुझको ना आलंब~~5 विष्णु शर्म द्विज का उद्धार किया भोज लख प्रेम अपार जंभ दैत्य से त्रासिक देव किया नाश,ही शांति ततखेव~~6 विस्तारी माया दिता सुत किया वध इन्द्र कर से तूर्त ऐसी लीला कहीं पर तेरी कौन कर सका वर्णन सारी?~~7 दौङ कर आयुसुत के काम किये पूर्ण सारे निष्काम बोध दिया यदु से परशुराम साध्यदेव प्रल्हाद अकाम~~8 ऐसी तेरी कृपा अगाध क्यों न सुने मेरी आवाज़ देख न अंत,दौङा अनंत आधे में न हो शिशु का अंत~~9 देख कर द्विज स्त्री का स्नेह बना पुत्र उसका तू निःसंदेह स्मर्तगामी क