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Showing posts from November, 2017

दत्त जयंती विशेष : भगवान दत्तात्रेय का जीवन

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दत्त जयंती विशेष : भगवान दत्तात्रेय का जीवन भगवान दत्तात्रेय की जयंती मार्गशीर्ष माह में मनाई जाती है। दत्तात्रेय में ईश्वर और गुरु दोनों रूप समाहित हैं इसीलिए उन्हें 'परब्रह्ममूर्ति सद्गुरु' और 'श्रीगुरुदेवदत्त' भी कहा जाता हैं। उन्हें गुरु वंश का प्रथम गुरु, साथक, योगी और वैज्ञानिक माना जाता है। हिंदू मान्यताओं अनुसार दत्तात्रेय ने पारद से व्योमयान उड्डयन की शक्ति का पता लगाया था और चिकित्सा शास्त्र में क्रांतिकारी अन्वेषण किया था। हिंदू धर्म के त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्रचलित विचारधारा के विलय के लिए ही भगवान दत्तात्रेय ने जन्म लिया था,  इसीलिए उन्हें त्रिदेव का स्वरूप भी कहा जाता है। दत्तात्रेय को शैवपंथी शिव का अवतार और वैष्णवपंथी विष्णु का अंशावतार मानते हैं। दत्तात्रेय को नाथ संप्रदाय की नवनाथ परंपरा का भी अग्रज माना है। यह भी मान्यता है कि रसेश्वर संप्रदाय के प्रवर्तक भी दत्तात्रेय थे। भगवान दत्तात्रेय से वेद और तंत्र मार्ग का विलय कर एक ही संप्रदाय निर्मित किया था। शिक्षा और दीक्षा :  भगवान दत्तात्रेय ने जीवन में कई लोगों से शिक्षा ली। दत्तात्रेय

जय माँ मेलडी

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**जय माँ मेलडी** माडी गुजराती का शब्द है, माडी का हिन्दी में अर्थ होता है माता। माता को ही माडी कहते हैं। सतयुग की समाप्ति के समय दैत्य अमरूवा महान प्रतापी मायावी और वरदानी था। उसके अत्याचार से सृष्टि में हाहाकार मच गया, देवताओं के साथ महासंग्राम हुआ, देवता पराजित हो गये, उन्होने महा शक्ति की स्तुति की आदि शक्ति जगदंबा सिंह वाहिनी दुर्गा प्रगट हुई और उन्होंने नौ रूप धारण किया उनके साथ दस महाविद्या और अन्य सभी शक्तियाँ प्रगट हुई। दैत्यों के साथ पुनः महासंग्राम छिड गया | पांच हजार वर्ष तक लगातार युद्ध हुआ। दैत्य अमरूवा के प्राण संकट में देख युद्ध छोडकर भागा। राह में देखता है कि किसी मृत गऊ के देह का पिंजर पडा है - उसे लगा कि इस पिंजर में शरण लूँ तो ये देव-देवी नजदीक ना आएंगे। अमरूवा उस पिजंर में समा गया। देवी शक्तियाँ पीछा करते वहाँ पर आयीं देखा शत्रु गौ के पिंजर में जा घुसा है, सभी ठिठक कर वहीँ खडी हो गयीं, मृत गौ का पिंजर अशुद्ध माना जाता है। इस अशुद्ध पिंजर से दैत्य को निकालना वह भी पिंजर में घुसकर असंभव है। बाहर निकाले बिना वध भी नहीं किया जा सकता ऐसी विषम स्थिति देवी शक्तियाँ मजब

नग्नता, मैथुन और कला - एक घुटन

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नग्नता, मैथुन और कला – एक घुटन : भारत एक खोज कला और संस्कृति के विकास में और ईश्वर के अजय आस्तित्व में वस्त्र पहनना या ढँकना यह कदापि निहित नहीं है| पूरी दुनिया में देवी देवताओं की नग्न मूर्तियाँ बनायीं गयी हैं| भारत में भी देवी देवताओंकी और उनके अवतारोंकी नग्न मूर्तियाँ और चित्र बनानेकी परंपरा ग्रीक काल के पहले से चली आ रही है| इतना ही नहीं, दुनियामें भारतका ‘सनातन’ धर्म – जिसे अब ‘हिन्दू’ कहते है, एकमात्र ऐसा धर्म होगा जिस में योनी और लिंग पूजा का विशेष महत्त्व है| एक इस्लाम धर्म को छोड़कर दुनिया के बाकी सारे धर्म नग्नता को सम्मान और दिव्य शक्ति का प्रतिक मानते हैं| प्रबोधन काल के पश्चात कई ग्रीक देवताओं के नग्न शिल्प तथा ईसाईं धर्म के नग्न और अर्ध नग्न चित्र देखने को मिलते हैं| भारत के अनेक मंदिरों में योनी और लिंग पूजा, शक्ति और शिव पूजा मानी गयी है| यह भारतीय जीवन का अविभाज्य हिस्सा है|  एम्. एफ. हुसेन जी के देवी सरस्वती का नग्न चित्र बनाने पर हिन्दू मूलतत्ववादियों ने चिल्लाना शुरू कर दिया कि यह उनकी संस्कृति पर आक्रमण है| इसके दो कारण हैं – एक तो चित्रकला, शिल्पकला सम्बंधित