भैरवी साधना और ये काल।

।।आदेश।।

भैरवी साधना और ये काल।

तंत्र में अगर एक महिला है तो भैरवी बनेगी और उसका मार्ग संभोग से हो कर जाता - ये वो ज्ञान जो आज कल हर नई साधिका से दी जाती है।
परंतु ये अर्ध सत्य है, या ये बोला जाए कि ये सत्य से काफ़ी दूर है।
आज साधना के विषय मे कुछ गुड़ रहस्य बताता हूँ।
कौन सा साधक भैरवी साधना कर सकता है?

१. जिससे वज्रोली साधना आती हो।
२. जो काम नही साधना भाव से भैरवी साधना कर पाए।

भैरवी को तीन तरीके से सिद्ध किया जा सकता है।
१. माँ के रूप में।
२. कुमारी या बेटी के रूप में।
३. अर्धग्नि या लाता भैरवी के रूप में।

जब भैरवी के 3 स्वरूप है ।तो लोग उसे माँ या बेटी के स्वरूप में क्यों नही अपनाते।उनको लता भैरवी ही क्यों चाहिए।मतलब वो अपनी काम के रूप में  उपयोग  ही करना चाहते है ।
लता भैरवी साधना 12 पहर यानी 36 घंटे की साधना है जिसमे भैरव और भैरवी दोनों उच्य कोटि के साधक होने चाहये। भैरव का काम होता है साधना पर ध्यान देना और भैरवी का काम है इस प्रक्रिया में सहायक होना। एक भी बीच मे साधना छोड़ नही सकता  ।

कोई नई कन्या लता भैरवी नही बन सकती। और कोई साधक जो वज्रोली न जानता हो वो भैरव नही हो सकता।   वैसे ओर भी बहुत बातेहै भैरवी साधना को ले कर पर इस मंच की मर्यादा देखते हुवे ज्यादा नही कह सकता ।

(क्रिया का मंत्र व तंत्र यहां नही बता रहा कियूंकि इसका दुरुपयोग होता है)

।।अलख आदेश।।

#आर्यवर्त

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