श्री नृसिंह स्तवः गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय

श्री नृसिंह स्तवः गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय
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प्रहलाद ह्रदयाहलादं भक्ता विधाविदारण। 

शरदिन्दु रुचि बन्दे पारिन्द् बदनं हरि ॥१॥

नमस्ते नृसिंहाय प्रहलादाहलाद-दायिने। 

हिरन्यकशिपोर्ब‍क्षः शिलाटंक नखालये ॥२॥

इतो नृसिंहो परतोनृसिंहो, यतो-यतो यामिततो नृसिंह। 

बर्हिनृसिंहो ह्र्दये नृसिंहो, नृसिंह मादि शरणं प्रपधे ॥३॥

तव करकमलवरे नखम् अद् भुत श्रृग्ङं। दलित हिरण्यकशिपुतनुभृग्ङंम्। केशव धृत नरहरिरुप, जय जगदीश हरे ॥४॥

वागीशायस्य बदने लर्क्ष्मीयस्य च बक्षसि। 

यस्यास्ते ह्र्देय संविततं नृसिंहमहं भजे ॥५॥

श्री नृसिंह जय नृसिंह जय जय नृसिंह। 

प्रहलादेश जय पदमामुख पदम भृग्ह्र्म ॥६॥

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