शाकाहार पर दोहे
शाकाहार पर कुछ दोहे
-शाकाहार-शाकाहार-शाकाहार-शाकाहार
(१)
बंद करो ये लहूधार का , जीवन का व्यापार
मूक पशू की पीड़ा समझो,अपनाओ शाकाहार
शाकाहार(२)
अरे मनुज ने मानवता तज , पशुता का यह मार्ग चुना
नीच कर्म यह महापाप है , सब पापों से कई गुना
शाकाहार(३)
दर दर भटके शांति खोजता , मानवता के नारों में
उलझा तीन टके के पीछे , पशू बध के व्यापारों में
शाकाहार(४)
कहाँ शुकून मिलेगा हमको,जब हर घर में चित्कार है
लाल लहू से जीभ रंगी है , अरु हाथों में तलवार है
शाकाहार(५)
चोट यदि मुन्ने को लगती , तब कितनी पीड़ा होती है
क्यों कोई फर्क नहीं पड़ता,जब बकरे की अम्मा रोती है
शाकाहार(६)
कई माओं की छिपी व्यथा है,तेरी षटरस थाली में
कई बधों की लिखी कथा , तेरे होटों की लाली में
शाकाहार (७)
मंदिर में पूजे गोमाता , कब घर में आदर पाती है
दूध पिलाना बंद करे तो , गाय कतल की जाती है
शाकाहार(८)
आज यदि पशू रोता है तो , कल तेरी भी बारी है
इन तलबारों की धारों की , नहीं किसी से यारी है
शाकाहार(९)
अरे पशू की छोड़ो चिंता , अब अपनी ही बात करो
रहे नहीं जो यदी काम के ,वे बोलेंगे अपघात करो
(10)
कहो कहाँ दरकार रही , अब बाहर के शत्रु की
गर्भपात कर करते ह्त्या,खुद अपने शिशुओं की
शाकाहार(11)
मेरी तेरी हो या पशुओं की , अरे जान तो जान है
इसमें उसमें जो फर्क करे,वह कायर है,बेईमान है
शाकाहार(12)
मांसाहार का दूषण लोगों,नहीं दूर क्षितिज का रहा अन्धेरा
आज द्वार पर दस्तक देता , जाने कब कर लेगा डेरा
शाकाहार(13)
अरे अश्रु की धाराओं ने , अपने आशय खो डाले
अरे लहू के लाल रंगों से , खेलें बालक भोले भाले
शाकाहार(14)
उनके जीवन में कहाँ दया , क्या प्रेम भावना रह पायेगी
खुद ही आपको लुटा पाओगे , जब बाढ़ खेत को खायेगी
शाकाहार(15)
करे शूल का बीजारोपण , उगता पेड़ बबूल का
अनंत काल भुगतोगे दूषण,एक समय की भूल का
शाकाहार(16)
इससे पहिले की लुट जाएँ,जाग्रत हो जाना चाहिए
हम भी रहें शाकाहारी , औरों को बनाना चाहिए
शाकाहार (१७)
अब नेक दयालू युवकों ने , छेड़ा दिया अभियान
अरे निरीह पशुओं के प्रति अब,करलो युद्धविराम
शाकाहार (18)
तुम खुद भी हो जीव , जीवका रक्खो तो सम्मान
नहीं बनो कातिल हत्यारे , तुम तो हो भगवान्
शाकाहार (19)
अरे! एक जीवन की खातिर , कितने जीवन छीनोगे
अपनी उनकी एक जात है , कब इस सच को चीन्होगे ।
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