सूर और असूर
आदेश आदेश गुरूजी अघोरी जी को अलख आदेश
अगर आप वेदों को पढ़ें जो वाकई में 4000 साल पुराने हैं।
तब वहां आपको असुर शब्द का मतलब राक्षस या बुरा व्यक्ति न मिल कर एक पवित्र इंसान के रूप में मिलेगा।
असुर एक उपाधि है जो इंद्र, अग्नि, रुद्र, वरुण जैसे कई आराध्यों को दी गई है। व्रित्र जो इंद्र के दुश्मन हैं उन्हें भी असुर नही कहा गया है।
हालांकि 2000 साल पहले लिखे पुराणों में चीजें बदलने लगती हैं।
यहां पर असुर बुरे लोग हैं और भगवानों और देवताओं के दुश्मन की तरह वर्णित किए गए हैं।
देव और असुर दोनों ही कश्यप ऋषि के बच्चे हैं, जो अलग-अलग पत्नियों से पैदा हुए हैं।
देवों को आदित्य कहा गया क्योंकि वे अदिति से पैदा हुए।
असुरों को दैत्य या दानव कहा गया क्योंकि वे दिति और दानु के बच्चे थे।
देव और असुर में लगातार लड़ाई होती रहती है।
देवों के नेता इंद्र अपने पिता ब्रह्मा से लगातार खुद को असुरों से बचाने की गुहार लगाते रहते हैं और दूसरी ओर असुर भी वरदान में देवों के स्वर्ग से बाहर करने के लिए शक्तियां मांगते हैं।
देवों के पास अमृत है जो उन्हें अमर बनाता है।
असुरों के पास संजीवनी विद्या है जो किसी भी मरे को जीवित कर सकती है।
दोनों ही काम एक दूसरे के विरोधी न होकर पूरक नजर आते हैं।
#अघोर
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