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।। अपराजिता - स्तोत्र ।।

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॥ अपराजिता-स्तोत्र ॥ 〰〰〰〰〰〰〰〰 -अपराजिता का अर्थ जो कभी पराजित नहीं होता | अपराजिता स्तोत्र का उपयोग अपने दैनिक जीवन में कर सकते हैं, आप इसका लाभ स्वयं ही देख सकते है यह है "अपराजिता स्तोत्र" अपराजिता का अर्थ है जो कभी पराजित नहीं होता | यह एक देवी है जिसे अपराजिता के नाम से जाना जाता है य......ह देवी दस महा विद्याओं में से एक है, और ये देवी जैसे की कभी खुद पराजित नहीं होती ठीक वेसे ही अपने भक्त की भी हार नहीं होने देती है तो लीजिये : अपराजिता स्तोत्र :- "अथ अपराजिता स्तोत्रं प्रारभ्यते" श्री गणेशाय नमः विनियोग :- ॐ अस्य श्री अपराजिता स्तोत्र महामंत्रस्य वेदव्यास ऋषि: अनुष्टुपच्छन्दः क्लीं बीजं हूँ शक्तिः सर्वाभीष्ट सिध्यर्थे जपे विनियोगः- मार्कंडेय उवाच :- शृणुध्वं मुनयः सर्वे सर्वकामार्थ सिद्धिदाम | असिद्ध साधनीं देवीं वैष्णवीमपराजिताम ।। ध्यानम :- नीलोत्पल-दल-श्यामां भुजंग भरणोज्वलाम, बालेन्दु-मौलीसदृशीं नयनत्रितयान्विताम । शंखचक्रधरां देवीं वरदां भयशालिनिं, पिनोतुंगस्तनीं साध्वीं बद्ध पद्मसनाम शिवाम । अजितां चिन्तयेद्देवीं वैष्णविमपराजिताम ।। शुद...