शिव भजन - 1
भोले को कैसे मैं मनाऊं रे मेरा भोला ना माने
भोले को कैसे मैं मनाऊं रे, मेरा भोला ना माने
भोला ना माने मेरा शंकर न माने
भोले को भाये ना रेशम का चोला
बागाम्बर कहां से लाऊं रे, मेरा भोला ना माने
भोले को भाये न ढोलक मंजीरा
डमरू कहां से लाऊं रे, मेरा भोला ना माने
भोले को भाये न लड्डू और पेड़े
भांग कहां से लाऊं रे, मेरा भोला ना माने
भोले को भाये ना हाथी व घोडा
बैल कहां से लाऊं रे, मेरा भोला ना माने
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आह की गोर कर नहीं थी दोस्त मंगल मलंग
माथे पर चन्द्रमा को सजाने के द्वारा पेरेकी घूंघट का विस्तार करके,
जग से अलग दिख कर, सांप को दबाया गया है
नय तेरे मस्त मलांग,
आह की गोर कर नहीं थी दोस्त मंगल मलंग
दमरु ने अपना हाथ पकड़ लिया और नृत्य किया, पहाड़ पर चढ़कर नृत्य किया
भगवान जानता है कि कैसे प्यार करता हूँ,
कहदा ए भाई भी ला नी तेरे मस्त मलंग,
आह की गोर ...
वह अंगूर और भाइयों को लेते थे, परन्तु कैलाश सुनवाई करते थे
कोई भाई भाई न भाई,
न तो किसी दिन आप एक घर ले गए,
आह की गोर ...
जांघ के बावजूद, कोई शरीर नहीं, कोई बात नहीं आपके मन
आध्यात्मिक ज्ञान ने मन को भूल लिया है,
होश मेरिए हर हरि नार ते तुझ मिलै मँग,
आह की गोर ...
बाली, तीन लोग, जिन्हें मैं आदी हूं
भोला शंकर महिया मेरा,
जो मुझे हँसे, मेरे मर्दाना malang, आह की गौरव ...
जो भी अच्छा रहा है वह मेरी माल्ट मलंग है
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मिट जाए जन्मों की तृष्णा मिले भोले शंकर प्यार तेरा ।
तुझ में खोकर जीना है मुझे मैं बूंद हूँ तू एक सागर है,
तुझ बिन जीवन का अर्थ है क्या मैं तारा हूँ तू अम्बर है,
तूने मुझ को स्वीकार किया क्या कम है यह उपकार तेरा
शिव पूजा में मन लीन रहे...
यूं मुझको तेरा प्यार मिला, बेजान को जैसे जान मिली,
जिस दिन से तुझको जाना है मुझको अपनी पहचान मिली,
दे दी तूने चरणों में जगह आभारी हूं सौ बार तेरा
शिव पूजा में मन लीन रहे...
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