पांच फीट जमीन - चन्द्रशेखर आज़ाद की जननी जागरानीदेवी की रुहदयदायक जीवनकथा
*"पांच फीट जमीन"*
*चंद्रशेखर तिवारी 'आज़ाद' की माँ की दर्द भरी दास्तान*
_हृदयस्पर्शी, करुणा से भरी भाव विभोर करने वाली रोचक अनकही सच्चाई_
*“अरे बुढिया तू यहाँ न आया कर , तेरा बेटा तो चोर-डाकू था, इसलिए गोरों ने उसे मार दिया“* जंगल में लकड़ी बिन रही एक मैली सी धोती में लिपटी बुजुर्ग महिला से वहां खड़ें भील ने हंसते हुए कहा--
*“ नहीं चंदू ने आजादी के लिए कुर्बानी दी हैं !!"* बुजुर्ग औरत ने गर्व से कहा।
उस बुजुर्ग औरत का नाम जगरानी देवी था और इन्होंने पांच बेटों को जन्म दिया था, जिसमे आखरी बेटा कुछ दिन पहले ही बलिदानी हुआ था।
उस बेटे को ये माँ प्यार से चंदू कहती थी और दुनियां उसे *“आजाद“* जी हाँ ! चंद्रशेखर आजाद के नाम से जानती हैं।
भारत स्वतंत्र हो चुका था,चंद्रशेखर तिवारी के मित्र सदाशिव राव एक दिन चंद्रशेखर के माँ-पिता जी की खोज करतें हुए उनके गाँव पहुंचे। देश को मुक्ति तो मिल गयी थी लेकिन बहुत कुछ खत्म हो चुका था। चंद्रशेखर आज़ाद के बलिदान के कुछ वर्षों बाद उनके पिता जी की भी मृत्यु हो गयी थी। आज़ाद के भाई की मृत्यु भी इससे पहले ही हो चुकी थी। अत्यंत निर्धनावस्था में हुई उनके पिता की मृत्यु के पश्चात चंद्रशेखर की निर्धन निराश्रित वृद्ध माताश्री उस वृद्धावस्था में भी किसी के आगे हाथ फ़ैलाने के बजाय जंगलों में जाकर लकड़ी और गोबर बीनकर लाती थी तथा कंडे और लकड़ी बेचकर अपना पेट पालती रहीं। लेकिन वृद्ध होने के कारण इतना काम नहीं कर पाती थीं कि भरपेट भोजन का प्रबंध कर सकें। कभी ज्वार कभी बाज़रा खरीद कर उसका घोल बनाकर पीती थीं क्योंकि दाल चावल गेंहू और उसे पकाने का ईंधन खरीदने लायक धन कमाने की शारीरिक सामर्थ्य उनमे शेष ही नहीं थी।
*शर्मनाक बात तो यह कि उनकी यह स्थिति देश को स्वतंत्रता मिलने के 2 वर्ष बाद (1949 ) तक जारी रही।*
चंद्रशेखर आज़ाद जी को दिए गए अपने एक वचन का वास्ता देकर सदाशिव जी उन्हें अपने साथ अपने घर झाँसी लेकर आये थे, क्योंकि उनकी स्वयं की स्थिति अत्यंत जर्जर होने के कारण उनका घर बहुत छोटा था अतः उन्होंने आज़ाद के ही एक अन्य मित्र भगवान दास माहौर के घर पर आज़ाद की माताश्री, के रहने का प्रबंध किया था और उनके अंतिम क्षणों तक उनकी सेवा की।
मार्च 1951 में जब चंद्रशेखर की माँ जगरानी देवी का झांसी में निधन हुआ तब सदाशिव जी, ने उनका सम्मान अपनी माँ के समान करते हुए उनका अंतिम संस्कार स्वयं अपने हाथों से ही किया था।
धन्य है ऐसी महान मित्रता, जिसने आर्य संस्कृति के इस मानवीय गुणों को आसमान की ऊंचाइयों पर पहुँचा दिया।
*चंद्रशेखर की माताश्री के देहांत के पश्चात झाँसी की जनता ने उनकी स्मृति में उनके नाम से एक सार्वजनिक स्थान पर "पीठ" का निर्माण किया। प्रदेश की तत्कालीन सरकार (प्रदेश में "कांग्रेस की सरकार" थी और मुख्यमंत्री थे गोविन्द बल्लभ पन्त) ने इस निर्माण को झाँसी की जनता द्वारा किया हुआ अवैध और गैरकानूनी कार्य घोषित कर दिया। किन्तु झाँसी के नागरिकों ने तत्कालीन सरकार के उस शासनादेश को महत्व न देते हुए चंद्रशेखर आज़ाद की माताश्री की मूर्ति स्थापित करने का फैसला कर लिया।*
प्रतिमा बनाने का कार्य चंद्रशेखर आजाद के ख़ास सहयोगी कुशल शिल्पकार रूद्र नारायण सिंह जी को सौपा गया। उन्होंने फोटो को देखकर आज़ाद की माताश्री के चेहरे की प्रतिमा तैयार कर दी।
जब सरकार को यह पता चला कि 'आजाद' की माँ की प्रतिमा तैयार की जा चुकी है और सदाशिव राव, रूपनारायण, भगवान् दास माहौर समेत कई *"क्रांतिकारी"* झांसी की जनता के सहयोग से प्रतिमा को स्थापित करने जा रहे है तो उसने अमर बलिदानी चंद्रशेखर आज़ाद की "माताश्री" की मूर्ति स्थापना को देश, समाज और झाँसी की कानून व्यवस्था, के लिए
*"खतरा"* घोषित कर, उनकी प्रतिमा स्थापना के कार्यक्रम को प्रतिबंधित कर पूरे झाँसी शहर में कर्फ्यू लगा दिया। चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात कर दी गई ताकि अमर बलिदानी चंद्रशेखर आज़ाद की माताश्री की प्रतिमा की स्थापना ना की जा सके।
*यह था असली चरित्र कांग्रेस का।*
जनता और क्रान्तिकारी, "आजाद" की माता की प्रतिमा लगाने के लिए निकल पड़ें। अपने आदेश, की झाँसी की सडकों पर बुरी तरह उड़ती धज्जियों से तिलमिलाई तत्कालीन सरकार ने अपनी पुलिस को सदाशिव को गोली मार देने का आदेश दे डाला !!
किन्तु आज़ाद की माताश्री की प्रतिमा को अपने सिर पर रखकर पीठ की तरफ बढ़ रहे "सदाशिव को जनता ने चारों तरफ से अपने घेरे में ले लिया", जुलूस पर पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया !! सैकड़ों लोग घायल हुए, दर्जनों लोग जीवन भर के लिए अपंग हुए और कुछ लोग की मौत भी हुईं (मौत की पुष्टि नही हुईं )। *चंद्रशेखर आज़ाद की माताश्री की प्रतिमा स्थापित नहीं हो सकी।*
*आजाद हम तुमको कौन से मुंह से श्रद्दांजलि दें?*
जब हम आपकी माताश्री की 2-3 फुट की प्रतिमा के लिए उस देश में 5 फुट जमीन भी हम न दे सकें जिस देश के लिए तुमने अपने प्राण निस्वार्थ न्योछावर कर दिए।
*संदर्भ : कई लेख एवं Indian Revolutionaries: A comprehensive study 1757-1961, Volume 3*
_तुम्हारे जैसे लाखों क्रांतिकारियों के बलिदानों का श्रेय लेकर काँग्रेस अंग्रेजो के चापलूसों को देश का नायक बनाकर आज तक देश पर राज कर रही है। और हम हैं इन अंग्रेजो के एजेंट को वोट देकर अपना शोषण और चंद्रशेखर 'आज़ाद' जैसे क्रांतिकारियों का रोज अपमान कर रहे हैं। इस देश से कांग्रेस का नामो निशान मिटाकर हम चंद्रशेखर आज़ाद को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकेंगे जिन्होंने इन महान बलिदानियों के जननी माँ के कोख का भी सम्मान नही किया, उन्हें 5 फिट ज़मीन भी न दी।_
🇮🇳 *भारत माँ तुझे प्रणाम* 🇮🇳
#आर्यवर्त
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