मोदी सरकार के इस कदम के बाद भारत को अब पाकिस्तान और चाइना से डरने की जरूरत नहीं
मोदी सरकार के इस कदम के बाद भारत को अब पाकिस्तान और चाइना से डरने की जरूरत नहीं
कुछ दिनों से चीन और भारत कि सीमा पर घमासान मचा हुआ है. दोनों देशो के सैनिक सीमा पर खड़े है, जहाँ एक तरफ चीन कि सेना भारत में घुसने को तैयार है तो दूसरी ओर भारत के सैनिक चीन की नापाक हरकतों के खिलाफ मोर्चा खोलकर खड़े हैं. भारत और चीन का सीमा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहाँ सिक्किम को चीन ने भारत का हिस्सा बनाया था अब चीन सिक्किम को लेकर भारत को धमकियां दे रहा है.
अब मोदी सरकार का चीन के लिए बड़ा दांव।
खबरों के अनुसार चीन और भारत में मची तनातनी को लेकर मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला ले लिया है. इस फैसले को लेकर पीएम मोदी ने देश और दुनिया को हैरान कर दिया है. अबतक मिली जानकारी के अनुसार भारत की समुद्री सीमा को और मजबूत करने के लिए अब मोदी सरकार ने एक डील तय की है.
आपको बता दें कि यह डील लगभग 10 साल भाड़ तय हुई है. बताया जा रहा है कि इस डील के तहत अब भारतीय शिपयार्ड में 70 हजार करोड़ की लागत से 6 अत्याधुनिक स्टेल्थ पनडुब्बी का निर्माण किया जाएगा. इस डील के तहत फ्रांस, जर्मनी, रुस, स्वीडन, स्पेन और जापान जैसे शक्तिशाली देशो की मदद से इन 6 पनडुब्बियों को निर्माण का काम शुरू किया जायेगा.
10 साल लगे इस फैसले में.
देश में पनडुब्बी निर्माण के लिए पूरे 10 साल लगे है. और डील को भी मोदी सरकार ने पूरा किया है. रक्षा कार्यक्रम के दौरान शुरू हुए इस प्रोजेक्ट को प्रोजेक्ट-75 (इंडिया) का नाम दिया गया है.एक वेबसाइट में छपी ख़बर के मुताबिक यूँ तो इस डील की ज़रूरत सबसे पहले नवंबर 2007 में उठी थी. उस समय देश में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार हुआ करती थी.
यूपीए सरकार को इस प्रोजेक्ट के लिए बहुत समय लग गया जिसका नतीजा यह हुआ लेकिन अब चीन की आयेदिन बढ़ती हिमाकत को देखते हुए लगता है कि देश को इस डील की इस वक़्त सख्त ज़रूरत है. जिसका ध्यान रखते हुए रक्षा मंत्रालय ने इस डील को अंतिम रूप देने के लिए इस साल मई में नई ‘सामरिक साझेदारी’ नीति अपनाई है.
इस डील के बारे में अब तक मिली ख़बर के अनुसार भारत सरकार ने हाल ही में पनडुब्बी बनाने के लिए 6 शिपबिल्डर्स को रिक्वेस्ट फॉर इन्फोर्मेशन (आरएफआई) भेजा है. जिससे यह काम जल्द से जल्द हो सके. इनमें नवल ग्रुप-डीसीएनएस (फ्रांस), थाइसेनक्रुप मरीन सिस्टम (जर्मनी), रोसोबोरोनएक्सपर्ट रुबीन डिजाइन ब्यूरो (रूस), नवानतिया (स्पेन), साब (स्वीडन) और मित्सुबिशी-कावासाकी हेवी इंडस्ट्रीज कम्बाइन (जापान) शामिल हैं. इस प्रोजेक्ट से सम्बंधित अधिकारीयों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस डील को लेकर 15 सितम्बर तक का समय मिला है.
हालाँकि, रक्षा विभाग ने इस पर काफी समय लगने कि बात कही है लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा विभाग इस डील को जल्द से जल्द तैयार करने कि कोशिश करेगी.
हालाँकि अगर बात करें भारत के पास मौजूदा पनडुब्बियों की तो अभी मौजूदा समय में भारतीय नौसेना के पास 13 पुरानी पनडुब्बियां हैं, इनमें से आधी हरदम सक्रिय रहती हैं. इन पनडुब्बियों में कुछ ऐसी भी है जो 25 साल से ज़्यादा पुरानी हो चुकी है. इनमें अभी भारत के पास दो परमाणु क्षमता संपन्न पनडुब्बियां हैं. वहीं आईएनएस अरिहंत (एसएसएसबीएन) और आईएनएस चक्र (एसएसएन) भी भारतीय नौसेना के पास हैं.
#आर्यवर्त
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