अल्पशाखीयक के लिए भारत से सवाल क्यों???

यूएनओ में भारत से सवाल करने वालें अपने भीतर भी तो झांको।

हाल ही में जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था के बैठक में भारत से अल्पसंख्यको के मामलें में कड़े-कड़े सवाल किया गया।सवाल पुछने वाले देश में ब्रिटेन, स्विटजरलैंड , निदरलैंड , नार्वे और चेक गणराज्य शामिल है।सभी के सभी के सवाल अल्पसंख्यको से जुड़ा हुआ था जिसे भारत के एटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने केवल यह उत्तर दिया कि "भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है इसका कोई धर्म नही है इसलिए हम धर्म के आधार पर किसी से भेदभाव नही करतें।"

बाकी के समय में मोदी सरकार के योजनाओं के गुणगान करने में गुजार दिया गया।

मेरा मानना है कि जब सवाल मानवाधिकार संबधी था तो सिर्फ यह कह देना कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश है क्या यह अपर्याप्त जवाब 112 देशों के प्रतिनिधीओं को खुश कर पाया होगा ?

खैर सवाल यह उठता है कि मुसलमानों के मानवाधिकार पर हमारे देश से क्यों प्रश्न क्यों किया गया?

क्या हम अमेरिका की तरह मुसलमानों को दाढी नोच रहे है, क्या हम फ्रांस की तरह मुस्लिम औरतों के बुर्के उतारा है?

क्या हम चीन की तरह मुसलमानों को नमाज पढने नही दे रहे है??

क्या हम जर्मनी की तरह मुस्लिम शरणार्थीओ को जबरन ईसाई बना रहे है??

या हमने अंगोला की तरह इस्लाम पर बैन लगा रखा है?

पुर्तगाल तो मुसलमानों को पिटाई भी कर रहा है और चिल्लाने भी नही दे रहा है??

रूस जबरन नशबंदी कर रहा है??

कनाडा कुरान पर पर बैन लगाने की तैयारी कर रहा है।

ऑस्ट्रेलिया जादुगर ओपी सरकार की तरह मुसलमानों को रातोरात गायब करवा दे रहा है।

इजरायल वर्षो से तमंचे पर डिस्को करवा रहा है।यह सवाल उनसे क्यों नही पूछे गयें?

और हमारे देश से सवाल करने वाले अपने घर के अंदर क्यों नही देखते कि हमने क्या किया है?

ब्रिटेन: बर्मिघम शहर में किस कारण दंगा हुआ था दुनिया से छिपी हुई तो नही है। 2015 में आप लंदन के ओलंपिक पार्क में तीन लाख फुट में बन रही मस्जिद को जबरन आप रोक देते हैं और हमसे सवाल करते है अल्पसंख्यक अधिकार पर। पुर्व प्रधानमंत्री डेवीड कैमरन साहेब खुलेआम कहते है कि मुस्लिम औरतें या तो अंग्रेजी सिख ले नही तो ब्रिटेन छोड़कर चले जाए।

आप अभी हाल ही में छः मुस्लिम देशों के लोगो पर इलेक्ट्रानिक समान लेकर एयरलाइन यात्रा पर रोक लगा दिया।

ब्रिटेन के इंग्लीश डिफेंस लिंग मुसलमानों के विरूद्ध क्या करती है हम पढे-लिखे नौजवानों से तो नही छिपा है।

स्विट्ज़रलैंड खुद अपने देश में ही बुर्के पर प्रतिबंध लगा रखा है और इसे तोड़ने पर एग्यारह हजार डॉलर का जुर्माना घोषित कर रखा है ।आपने तो अपने देश में मस्जिद की मिनार बनाने पर ही बैन लगा रखा है।अभीतक आपके देश ने इस्लाम को अधिकारिक धर्म के रूप में मान्यता तक नही दी और हमसे आप अल्पसंख्यक मुद्दे पर सवाल करेंगे ?

निदरलैण्ड: बहुत कम लोग जानते हैं निदरलैंड युरोप का पहला ऐसा देश है जहां मुसलमानों के अधिकार को सबसे पहले चुनौती दी गई।साहब आपके यहां दो-तीन महीने पहले चुनाव हुए है और वहां की सबसे बड़ी पार्टी फ्रिडम पार्टी के गीर्ट वाइल्डर्स चुनाव ही -'इस्लाम मुक्त ,मस्जिद मुक्त , मदरसा मुक्त निदरलैंड के घोषणापत्र पर चुनाव लड़ते है सवाल भारत से पुछते हो।

नार्वे: हमसे असफ्पा पर सवाल पूछने वाले कभी अपने देश के कड़े कानुनों पर भी तो सवाल उठा दिया करो। एक अधिकारी को धमकी देने के आरोप में नजमुद्दीन अहमद फरोज को 2012 से अभीतक जेल में बंद कर रखे हो।अरे हमारे यहां तो प्रधानमंत्री पर फतवा देने वाला भी आजादी से घुम रहा है।

इशान अहमद आरोप मात्र इतना की यह आइएसएस का प्रशंसक है पिछले तीन सालो से जेल में अभीतक बंद है।हमारे यहां तो सड़को पर गर्व से लोग आइएसआइ का  प्रशंसक होने का दावा करते है।

चेक गणराज्य: आप तो इस्लाम विरोध में दो कदम और आगे हो। आपके देश के एक नेत्री क्लारा संकोवा पार्लियामेंट में ही भाषण देती है कि हम हिंदू , बौद्ध, शिंतो के साथ रह लेंगे लेकिन मुसलमान के साथ नही रह पाएगें।इसलिए यूरोप से इस्लाम को नष्ट करना जरूरी है। फिर भी भारत से आप सवाल करते हो।

#आर्यवर्त

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