मूर्त्यु का इंतज़ार - एक रहदयद्रावक सत्यकथा

ह्रदय विदारक : आशा केदार साहनी की मौत की रूह कंपा देने वाली खबर आज दैनिक भास्कर में प्रकाशित हुई। इस खबर ने हम सब भारतीयों को आईने में अपनी तस्वीर देखने को मजबूर कर दिया है। आखिर कहां है हम? कहां जा रहा है हमारा समाज । इस खबर को पढ़कर एक प्रेरक कथा की याद भी हो आयी है । लेकिन आज बात पहले आशा केदार साहनी की । 80 साल की आशा साहनी मुंबई के पॉश इलाके में 10वी मंजिल पर एक अपार्टमेंट में अकेले रहती थी। उनके पति की मौत चार साल पहले हो गयी। अकेले क्यों रहती थी? क्योंकि उनका अकेला बेटा अमेरिका में डॉलर कमाता था, बिजी था। उसके लिए आशा साहनी डेथ लाइन में खड़ी एक बोझ ही थी। उसके लाइफ फारमेट में आशा साहनी फिट नहीं बैठती थी। ऐसा कहने के पीछे मजबूत आधार है। बेटे ने अंतिम बार 23 अप्रैल 2016 को अपनी मां को फोन किया था। ह्वाटसअपर पर बात भी हुई थी। मां ने कहा-अब अकेले घर में नहीं रह पाती हूं। अमेरिका बुला लो। अगर वहां नहीं ले जा सकते हो तो ओल्ड एज होम ही भेज दो अकेले नहीं रह पाती हूं। बेटे ने कहा-बहुत जल्द आ रहा हूँ । कुल मिला कर डॉलर कमाते बेटे को अपनी मां से बस इतना सा लगाव था कि उसके मर...