कल मैं मुसलमान बनूँगा
कल मैं मुसलमान बनूँगा सन्त एकनाथ जी सरल शब्दों में धर्म को लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रसिद्ध थे। 500 वर्ष पुरानी बात है।तबतक देश में मुसलमान आक्रांता आ चुके थे और इस्लाम की दावत का चलन जोरों पर था। उनकी प्रसिद्धि से आसपास के मुल्ला मौलवी जलते थे। किसी को विचार आया कि अगर कोई विद्वान मौलवी इनको ही कलमा पढ़ाकर मुसलमान बना ले तो आसपास के कई गाँव मुसलमान हो जाएंगे। एक होशियार मौलवी को गाँव में लाया गया और उसने धीरे धीरे इनकी सभी शिक्षाओं को समझने और उनके शब्दों में अपने लिए तर्क के बिन्दु खोजने लगा। कुछ दिनों में अपने अनुभव से वह मानने लगा कि अब इनको मुसलमान बनाने लायक सभी विषय इकट्ठे हो गए हैं। एकदिन वो एकनाथजी महाराज के सामने आया और बातचीत प्रारम्भ की- - आप कहते हैं कि जीव ईश्वर का अंश है? - बिल्कुल, सत्य है। -हमारा इस्लाम भी यही कहता है। -ठीक कहता है तुम्हारा इस्लाम। -संसार मिथ्या है और हमारे कर्मों का लेखाजोखा ईश्वर के पास है? - सत्य है मौलाना, तुम ठीक कहते हो? - सभी मनुष्य ईश्वर के बनाए गए हैं अतः सभी बराबर हैं और सबको उसी ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए जिसने हमें बनाया है? - सत्य है।